अर्मेनिया और अजरबेजान के बीच छिड़ी जंग कम होने का नाम नहीं ले रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति बाहली के प्रयासों के बाद भी अर्मेनिया और अजरबेजान के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इसके बाद से ही नागोर्नो-करबाख क्षेत्र (Nagorno-Karabakh) पर हमले और बढ़ गए हैं।
आर्मेनिया और अजरबैजान ट्रांसकेशिया या दक्षिण काकेशिया का हिस्सा हैं। यह पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया की सीमा पर जॉर्जिया, अर्मेनिया और अज़रबैजान के दक्षिणी काकेशस पर्वत के आसपास का एक भौगोलिक क्षेत्र है।
काकेशस दक्षिण-पूर्व यूरोप में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र है। सदियों से, इस क्षेत्र में अलग-अलग शक्तियों - दोनों ईसाई और मुस्लिम - ने वहां नियंत्रण के लिए निहित किया है।
नागोर्नो-करबाख क्षेत्र में जातीय अर्मेनियाई के रूप में 95% आबादी है और उनके द्वारा नियंत्रित किया जाता है, लेकिन इसे अंतर्राष्ट्रीय रूप से अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है।
भारत की प्रतिक्रिया -
यद्यपि भारत ने अभी तक इस संबंध में कोई विशिष्ट प्रतिक्रिया नहीं है, किंतु क्षेत्रीय शांति और स्थिरता से संबंधित इस मामले पर भारत बारीकी से निगरानी रख रहा है। ज्ञात हो कि भारत के अर्मेनिया और अज़रबैजान दोनों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं।
हाल के कुछ वर्षों में भारत और आर्मेनिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग में काफी तेज़ी देखी गई है। आर्मेनिया के लिये भारत के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करना इस दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं कि भारत, अज़रबैजान-पाकिस्तान-तुर्की के रणनीतिक गठजोड़ को एक संतुलन प्रदान करता है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) का हिस्सा है, जो कि भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल की आवाजाही के लिये जहाज़, रेल और सड़क मार्ग का एक नेटवर्क है।
- उल्लेखनीय है कि अज़रबैजान, तुर्की की तरह कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की स्थिति का समर्थन करता है।