ईओएस-01 सेटेलाइट को बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी आपदाओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। खेती, वानिकी, मिट्टी की नमी, भूविज्ञान और तटीय निगरानी के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट अपने 51वें अभियान में सभी सेटेलाइट को अपने साथ लेकर तय समय दोपहर बाद 3:02 बजे अंतरिक्ष में रवाना होने वाला था। ज्ञान के मार्ग में मलबा होने की वजह से इसमें 10 मिनट की देरी की गई। इस साल इसरो का पहला मिशन था, क्योंकि कोरोनावायरस के चलते इसरो के कई मिशन रुके पड़े थे। जो सेटेलाइट भेजे गए हैं, उनमें भारत का एक, लिथुआनिया का एक, लक्जमबर्ग के चार और अमेरिका के चार सेटेलाइट है। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद यान ने सभी उपग्रह को एक-एक बार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। भारतीय सेटेलाइट ईओएस-01 पीएसएलवी रॉकेट से अलग हुआ तो रॉकेट में लगे ऑनबोर्ड कैमरे ने सेटेलाइट और धरती की खूबसूरत तस्वीरें ली। इससे पहले इसरो ने 11 दिसंबर 2019 को रिसेट-2 बीआर1 रॉकेट पीएसएलवी-सी 48 की मदद से लांच किया था, जो निगरानी सेटेलाइट था।