जीपीटी - ३ न्यूरल नेटवर्क पर आधारित है। यह नेटवर्क इंसानी मस्तिष्क में न्यूरॉन के जाल की तर्ज पर ही तैयार किया गया है। न्यूरल नेटवर्क बड़े पैमाने पर मौजूद डाटा के पैटर्न का सही पता लाकर मस्तिष्क जैसा कौशल सीखता है। यह इंसानों की तरह न सिर्फ खुद ट्वीट, ईमेल और कविता लिख लेता है बल्कि भाषा अनुवाद से लेकर कंप्यूटर प्रोग्रामों की कोडिंग तक कर देता है। इसने यह काम कई महीनों तक डिजिटल किताबों, विकिपीडिया, ब्लॉग, सोशल मीडिया और इंटरनेट पर मौजूद अरबों खरबों शब्दों के विश्लेषण के जरिए अपनी प्राकृतिक भाषा तैयार करके सीखा है। सैनफ्रांसिस्को स्थित एआई प्रयोगशाला में ओपनएआई कंपनी द्वारा बनाए इस सिस्टम पर जानकारों का कहना है कि यह प्रभावी मशीनों के आगाज की ओर बड़ा कदम हो सकता है।