प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की 2 दिसंबर 2014 की बैठक में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक, 2013 को मंजूरी दे दी गई. इसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) अधिनियम, 1976 को संशोधित किया गया है.
यह विधेयक अधिकृत एवं पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए पूंजी जारी करने में मदद करेगा और केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों के बीच हिस्सेदारी में लचीलापन लाएगा.
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने यह भी फैसला किया कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त गैर– अधिकारी निदेशकों का कार्यकाल सीमित होगा और यह तीन वर्ष से अधिक का नहीं होना चाहिए.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक, 2013
• लोकसभा में 22 अप्रैल 2013 को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(संशोधन) विधेयक, 2013 पेश किया गया था. इस विधेयक को जांच के लिए यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा गया था.
• विधेयक ने प्रायोजक बैंकों को आरआरबी के शेयर पूंजी की सदस्या लेने, उनके कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने एवं प्रबंधकीय और वित्तीय सहायता मुहैया कराने हेतु पांच वर्षों की अधिकतम अनिवार्य सीमा को हटा दिया जिससे ऐसे सहयोग इस अवधि के बाद भी जारी किये जा सकेंगे.
• इसने आरआरबी की अधिकृत पूंजी (ऑथराइज्ड कैपिटल) को 5 करोड़ रुपयों से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया और थ्रेशोल्ड लिमिट (सीमा) को 25 लाख रुपयों से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया.
• इससे किसी आरआरबी द्वारा पहले 25 लाख रुपयों – 1 करोड़ रुपयों और 1 करोड़ रुपयों और उससे आगे के लिए जारी की गई पूंजी को निर्दिष्ट करने हेतु केंद्र सरकार की क्षमता बढ़ जाती है.
• वर्तमान में आरआरबी की शेयरधारिता पैटर्न केंद्र सरकार के पास 50 फीसदी, संबंधित राज्य सरकार के पास 15 फीसदी और प्रायोजक बैंक के पास 35 फीसदी है. यह विधेयक आरआरबी को केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी उगाही करने की अनुमति देता है. ऐसे मामले में, हालांकि, केंद्र सरकार और प्रायोजक बैंक की हिस्सेदारी संयुक्त रूप से 51 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए.
• अगर राज्य सरकार की हिस्सेदारी 15 फीसदी से कम होती है तो केंद्र सरकार को संबंधित राज्य सरकार से परामर्श करना होगा.
• यह विधेयक केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड और प्रायोजक बैंक द्वारा नामित किए जाने के अलावा अन्य निकायों द्वारा निदेशक मंडल की नियुक्ति का अधिकार प्रदान करता है. हालांकि, अन्य निकायों द्वारा ऐसे नामांकन उन निकायों के शेयर के अनुपात में ही होगा.
• विधेयक में निदेशक का कार्यकाल दो वर्ष से अधिक का नहीं होगा और वह फिर से नामांकन का पात्र नहीं होगा, वाले, निर्देश को हटा दिया गया है. हालांकि, यह सिर्फ उन निदेशकों के लिए है जो केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त नहीं किए गए है.
• इसमें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त निदेशकों का कार्यकाल अधिकतम दो वर्ष की अवधि, को बरकरार रखा गया है. इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि निदेशक फिर से नामांकन का पात्र होगा लेकिन वह कार्यालय में चार वर्ष से अधिक नहीं रहेगा.
• अधिनियम के अनुसार, आरआरबी के बुक्स हर वर्ष 31 दिसंबर को बंद कर दिए जाएंगे और बैलेंस भी उसी दिन बंद होगा. विधेयक ने इस तारीख को बदलकर 31 मार्च कर दिया है.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(आरआरबी)
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(आरआरबी) की स्थापना 26 सितंबर 1975 को अध्यादेश लागू कर स्थापित किया गया था. यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 का अनुपालन करता है. इसकी स्थापना सहकारी ऋण संरचना के लिए वैकल्पिक चैनल बनाने और ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र में पर्याप्त संस्थागत ऋण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी.
साल 2001 में आरबीआई ने डॉ. वी. एस. व्यास की अध्यक्षता में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के लिए बैंकिंग प्रणाली से मिलने वाले ऋण प्रवाह (फ्लो ऑफ क्रेडिट टू एग्रीकल्चर एंड रिलेटेड एक्टिविटीज फ्रॉम द बैंकिंग सिस्टम) पर एक समिति बनाई जिसने ग्रामीण ऋण प्रणाली में आरआरबी की प्रासंगिकता और इसे व्यवहार्य बनाने के लिए विकल्पों की जांच की.
परिणामस्वरूप 31 मार्च 2013 को आरआरबी की संख्या 196 से घटाकर 64 कर दी गई. 31 मार्च 2013 को आरआरबी की शाखाओं की संख्या बढ़कर 17856 हो गई जो देश के 635 जिलों को कवर करती हैं.
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने यह भी फैसला किया कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त गैर– अधिकारी निदेशकों का कार्यकाल सीमित होगा और यह तीन वर्ष से अधिक का नहीं होना चाहिए.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक, 2013
• लोकसभा में 22 अप्रैल 2013 को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(संशोधन) विधेयक, 2013 पेश किया गया था. इस विधेयक को जांच के लिए यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा गया था.
• विधेयक ने प्रायोजक बैंकों को आरआरबी के शेयर पूंजी की सदस्या लेने, उनके कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने एवं प्रबंधकीय और वित्तीय सहायता मुहैया कराने हेतु पांच वर्षों की अधिकतम अनिवार्य सीमा को हटा दिया जिससे ऐसे सहयोग इस अवधि के बाद भी जारी किये जा सकेंगे.
• इसने आरआरबी की अधिकृत पूंजी (ऑथराइज्ड कैपिटल) को 5 करोड़ रुपयों से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया और थ्रेशोल्ड लिमिट (सीमा) को 25 लाख रुपयों से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया.
• इससे किसी आरआरबी द्वारा पहले 25 लाख रुपयों – 1 करोड़ रुपयों और 1 करोड़ रुपयों और उससे आगे के लिए जारी की गई पूंजी को निर्दिष्ट करने हेतु केंद्र सरकार की क्षमता बढ़ जाती है.
• वर्तमान में आरआरबी की शेयरधारिता पैटर्न केंद्र सरकार के पास 50 फीसदी, संबंधित राज्य सरकार के पास 15 फीसदी और प्रायोजक बैंक के पास 35 फीसदी है. यह विधेयक आरआरबी को केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी उगाही करने की अनुमति देता है. ऐसे मामले में, हालांकि, केंद्र सरकार और प्रायोजक बैंक की हिस्सेदारी संयुक्त रूप से 51 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए.
• अगर राज्य सरकार की हिस्सेदारी 15 फीसदी से कम होती है तो केंद्र सरकार को संबंधित राज्य सरकार से परामर्श करना होगा.
• यह विधेयक केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड और प्रायोजक बैंक द्वारा नामित किए जाने के अलावा अन्य निकायों द्वारा निदेशक मंडल की नियुक्ति का अधिकार प्रदान करता है. हालांकि, अन्य निकायों द्वारा ऐसे नामांकन उन निकायों के शेयर के अनुपात में ही होगा.
• विधेयक में निदेशक का कार्यकाल दो वर्ष से अधिक का नहीं होगा और वह फिर से नामांकन का पात्र नहीं होगा, वाले, निर्देश को हटा दिया गया है. हालांकि, यह सिर्फ उन निदेशकों के लिए है जो केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त नहीं किए गए है.
• इसमें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त निदेशकों का कार्यकाल अधिकतम दो वर्ष की अवधि, को बरकरार रखा गया है. इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि निदेशक फिर से नामांकन का पात्र होगा लेकिन वह कार्यालय में चार वर्ष से अधिक नहीं रहेगा.
• अधिनियम के अनुसार, आरआरबी के बुक्स हर वर्ष 31 दिसंबर को बंद कर दिए जाएंगे और बैलेंस भी उसी दिन बंद होगा. विधेयक ने इस तारीख को बदलकर 31 मार्च कर दिया है.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(आरआरबी)
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(आरआरबी) की स्थापना 26 सितंबर 1975 को अध्यादेश लागू कर स्थापित किया गया था. यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 का अनुपालन करता है. इसकी स्थापना सहकारी ऋण संरचना के लिए वैकल्पिक चैनल बनाने और ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र में पर्याप्त संस्थागत ऋण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी.
साल 2001 में आरबीआई ने डॉ. वी. एस. व्यास की अध्यक्षता में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के लिए बैंकिंग प्रणाली से मिलने वाले ऋण प्रवाह (फ्लो ऑफ क्रेडिट टू एग्रीकल्चर एंड रिलेटेड एक्टिविटीज फ्रॉम द बैंकिंग सिस्टम) पर एक समिति बनाई जिसने ग्रामीण ऋण प्रणाली में आरआरबी की प्रासंगिकता और इसे व्यवहार्य बनाने के लिए विकल्पों की जांच की.
परिणामस्वरूप 31 मार्च 2013 को आरआरबी की संख्या 196 से घटाकर 64 कर दी गई. 31 मार्च 2013 को आरआरबी की शाखाओं की संख्या बढ़कर 17856 हो गई जो देश के 635 जिलों को कवर करती हैं.